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The day is observed with good reverence, as followers visit temples, offer prayers, and participate in communal worship functions like darshans and jagratas.

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

Matabari Temple is often a sacred put the place folks from distinct religions and cultures Collect and worship.

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

Upon strolling towards her historical sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her power will increase in depth. Her templed is entered by descending down a dark slim staircase which has a crowd of other pilgrims into her cave-llike abode. There are plenty of uneven and irregular techniques. The subterranean vault is hot and humid and but there is a sensation of safety and and defense in the dim mild.

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

The above a person isn't a story but a legend and also a simple fact since the person blessed by Sodhashi Tripur Sundari, he will become the regal individual. He achieves all the things resulting from his wisdom, want and workmanship.

Celebrated with fervor for the duration of Lalita Jayanti, her devotees look for her blessings for prosperity, wisdom, and liberation, obtaining solace in her various kinds and the profound rituals connected to her worship.

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।

श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर click here सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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